कबीरधामछत्तीसगढ़

पण्डरिया ब्लाक अन्तर्गत ग्राम पंचायत आगरपानी के आश्रित गांव झूमर में बैगा समुदाय द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया विश्व पर्यावरण दिवस।

पण्डरिया ब्लाक अन्तर्गत ग्राम पंचायत आगरपानी के आश्रित गांव झूमर में बैगा समुदाय द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया विश्व पर्यावरण दिवस


विशेष पिछडी जनजाति बैगा समुदाय द्वारा 5 जुन को विष्व पर्यावरण दिवस बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ ग्राम झुमर में मनाया गया,

रमलीबाई करकुटिया ने इस अवसर पर कहाँ कि हम लोग जंगल पेड. पौधे के साथ जीते है पर पर्यावरण दिवस के बारे में नहीं जानते थे लेकिन आदिवासी समता मंच के कार्य कर्ताओ द्वारा पता चला कि विष्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और दुनिया में सभी लोग आज के ही दीन पर्यावरण बचाने कि बात करते है!

हमें जानकारी होने पर हम लोगो कि इच्छा हुई कि हमारे गांव में पर्यावरण दिवस कि कार्यक्रम का आयोजन हो हम लोगो का आटुट सम्बन्ध हमारे आसपास में मौजूद प्राकृतिक संसाधन जंगल, जमीन, हवा, पानी से है और हम लोग हमेशा से ही अपने से जुडा हुआ महसूस करते है

इन्ही से हमारी पहचान है हमारी हर जरुरत को यही पर्यावरण पुरा करते है

इसलिए पर्यावरण कि सुरक्षा करना बहुत जरूरी है आज धीरे -धीरे कई चीज खत्म हो रही है जो चिंता कि बात है हमे पेड पौधा कि सुरक्षा करना है और नया पेड पौधे लगाना है जंगल का सही से प्रंबंध करना है!

गरभी बाई बैगा ने कहा कि हमें पर्यावरण सब्द बोलने नहीं आता है पर जिस प्रकार से अनिमा बाहन के द्वारा बताये जाने पर समझी हुँ उससे यही मतलब निकलता है कि पर्यावरण के कारण ही हमारे आसपास कि स्तिथि ठीक रहती है

और हम जिदा रहते है यदी किसी भी तरहा का बदलाव आता है तो हमारे जीवन में प्रभाव पडता है इसलिए बहुत जरूरी है पेड पौधा बचाना व लगाना तभी पानी, हवा शुध और अधिक मात्र में रहेगा तभी हमारे जीवन का जरूरत पुरा हो सकता है! युवा जोन्हु राम बैगा ने कहाँ हमारे पुर्वजो ने समहाल कर रखा था पर्यावरण को अपने आने वाले पीढी बचाते रहे इसकेलिए भी ब्वस्था किया यही कारण है कि हर बैगा सरनेम में एक प्रकृतिक चीजों का नाम पेड-पौधे, जीव-जन्तु का नाम पहचान टोटम के रूप मे जोडा है ताकि हम पर्यावरण को बचाकर अपनी पहचान व जीवन का आधार बचाते रहे!

आदिवासी समता मंच के अनिमा बनर्जी ने कहाँ कि वन अधिकार कानुन में सरकार ने अच्छी ब्वस्था कि है गांव वाले अपने वनो का प्रबंधन कर टीकाऊ उयोग कर सकते है जंगल को जितना समृद्ध करेंगे उतनाही हमारा. जीवन भी समृद्ध रहेगा!

जंगल कि बिगडते हलात को ठीक नहीं करेंगे तो हमे उसकी सजा भुगतना पडेगा इसलिए पेड पौधा रोपण करना जरूरी है!

सहेत्तर सिह धुर्वे ने जंगल बचाने के सम्बन्ध में बहुत ही प्रेरणा दायक गीत गाया जिसका बोल था जंगल ल बचाबो गा. जंगल ल बचाबो गा जंगल कठही, सुखा पडही ए धरती मे गा धरती तपही रे रोना पढही एक एक झन गा बहुत ही प्रभाव साली असर दार गुण सुनाया। इसके साथ बैगा समुदाय के द्वारा करमा, ददरिया, मादर, ठीसकी के साथ नाचे गाए।

बैसाखीन बाई ने सभी उपस्थित लोगों को संकल्प दिलाया की हर साल बारिश के मौसम मे 5-5 पेड लगाएंगे और सुरक्षा भी करेंगे। कार्यक्रम के दोरान 11 फलदार. पौधों का रोपण किया गया मुन्गा, आमा, सीताफल, डुमर, ग्राम झुमर व आसपास के गांवो के लगभग 200 महिला पुरूषो ने भाग लिया!

हेमंत गढेवाल, अशोकमरावी, राजेश मानिकपुरी, बजरू बैगा, अमरसिंह, बंझरूबैगा, रामसिंह बैगा, सुन्दरी बाई, रमली बाई, बैसखियाबाई बैगा आदि लोगो ने जंगल पर्यावरण कि बिगड़ ती हालत व पर्यावरण बचाने के सम्बन्ध मे अपने बिचार ब्यक्त किया

VIKASH SONI

Founder & Editor

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